संस्था के मुख्य ध्येय एवं उद्देश्य, जिनके लिए इस संस्था का निर्माण हुआ, निम्नलिखित हैं-

संस्था समाज के अनाथ, निःसहाय एवं बेसहारा बच्चों का पालन पोषण, शिक्षा एवं रोजगार दिलाने का प्रयास करेगी।

समाज के अनाथ बच्चों, पुरूषों तथा महिलाओं के लिए आश्रम बनाना , महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने हेतु सिलाई, बुनाई, कशीशकारी, हस्वाशल्प, चित्रकारी,गुड़िया बनाना, स्वेटर बुनाई, निटिंगका संचालन करना एवं कराना।

विकरूपेन्टिंग का प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार कार्यक्रम, संस्था द्वारा प्रौढ़ शिक्षा, नारी शिक्षा, पाठशाला, अनौपचारिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना।

शिवालयों व मन्दिरों की देखभाल तोमरोमत करना।

शिवालयों में धार्मिक समारोह का आयोजन करना ।

शिवालयों/ मन्दिरों में कीर्तन/ जागरण व अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करना में करवाना।

समाज की भलाई हेतु सांस्कृतिक शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन करना।

जिनके पाना पिता की मृत्यु एड्स रोग के कारण हो चुकी है। ऐसे अनाम बनों को उनके बालिग होने तक संरक्षण, सुरक्षा एवं शिक्षा की व्यवस्था करना।

उपभोक्ता को जागरुक करना, मूल्य वृद्धि, बनावटी, मिलावट दशेपपूर्ण वितरण और बाजारी, आपनसोरी, भामक विज्ञापन, डाक दरबार, बिद्युत विभाग, व्यापार, नापतौल में गडबडी, खध
वस्तुओं के सैम्पल भरवाकर जांच कराना तथा सभी प्रदेश के मंडलों में खद्य प्रयोगशाला की स्थापना कराना |

उपभोक्ताओं को अधिकार बताना एवं प्रशिक्षण से सम्बन्धित साहित्य प्रचार सामग्री आदि की सरल भाषा में प्रकाशन कराना और उसका उपभोक्ताओं में प्रचार-प्रसार ग्रामीण आंचल तक कराना, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अर्न्तर्गत उपभोक्ता अधिकार का प्रचार प्रसार
करना।

उपभोक्ता जागरूक करने के लिये रेडियो, टेलीविजन तथा मैलों में उपभोक्ता जागरूक कैम्प लगाना, प्रोजेक्ट मशीन द्वारा फिल्म दिखाकर उपभोक्ताओं को जागरूक करना व सरकार से सहयोग लगकर दहेज विरोध, इड्स का स्कूल / कालिजों में कैंप लगाकर प्रसार करना ।

उपभोक्ता के शोषण को रोकने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ताओं की दैनिक समस्याओं का निवारण करने का प्रयास करना ।

उपभोक्ता को गैस एजेंसियों, पेट्रोल पम्पों विद्युत विभाग, दूरसंचार विभाग, जल विभाग, डाक तार विभाग या किसी सरकारी अथवा गैर सरकारी विभागों द्वारा विभिन्न तरीकों से किये जा रहे शोपण से बचाकर उन्हें जागरूक करना ।

भारत सरकार व प्रदेश सरकार को समय-समय पर उपभोक्ता हित |

उपभोक्ताओं को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की जानकीरी देना ।

उपभोक्ताओं से अहित में किये जा रहे कार्यों के प्रति अभियान चलाना । 17. देश में उपभोक्ताओं व दुधारू पशु की जांदच कराना व नकली खल चोकर बंद कराना।

खाद्य वस्तुओं व दवाओं के सैम्पल भरवाकर गुणवचा आदि बनाने वाली कम्पनियों को सरकार के सहयागे से उपभोक्ता जागरूक आंदोलन को और भी अधिक प्रभावी ढंग से चलाने के लिये समिति के सदस्यों की संख्या संपूर्ण भारत के और अधिक बढ़ाकर ग्रामीण एवं पहाड़ी क्षेत्रों में उपभोक्ता संबंधी प्रचार साहित्य एवं सभाओं व बैठकों के माध्यम से विशेषकर महिलाओं को उनके उपवत एवं मानव अधिकारों के प्रति सचेत करना।

विद्यालयों एवं कॉलेजों में प्रदर्शनी अथवा रागाओं एवं प्रचार साहित्य के प्रति मानवसमाज में जगृति लाकर समाज कल्याण एवं परिवार नियोजन के कार्यक्रमों का प्रचार करना ।


उपभोक्ता अधिकार संबंधी सामग्री चिद्यालयों के पाठ्यक्रम में अनवार्य विषय शामिल कराने के लिये भारत सरकार से मांग करना।


महिलाओं व युवा लड़कियों को स्ववलम्बी बनाने के लिये उन्हें निःशुल्क कंप्यूटर नर्सरी टीचर, सिलाई, बुनाई, कढ़ाई, ब्यूटीशियन, मेहन्दी, फलावर मेकिंग, खिलौने बनाना आदि का प्रशिक्षण देने के लिये प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना करना आदि।

सरभारी निममा उत्पार संस्था द्वारा स्थान-स्थान पर जनसहयोग से विभिन्न पुराणों पर कथा, प्रवचन, यज्ञ व अनुष्ठान आदि के आयोजन एंव भारतीय लोक संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिये जन सहयोग से सांस्कृतिक कार्यक्रम कराना।


समाज में व्याप्त कुरीतियों (अंधविश्वास, ‘दहेज प्रथा, सती प्रथा ) को समाप्त करने के लिये कार्यक्रम चलाना।


नशा मुक्ति केन्द्र की स्थापना करना तथा समाज को नशा मुक्त बनाने का प्रयास करना । समय-समय पर रक्तदान शिविरों का आयोजन करना। बहुजन हिताय बहुजन सुखाय की नीति अपनाकर समाज को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करना ।

स्रभारी निगमानुसार
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करना तथा शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों में प्रयावरण के प्रति जागरुकता पैदा करना ।


सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ आम जनता तक पहुंचाना तथा सरकारी भागीदारी योजना के अन्तर्गत सरकार आर्थिक सहायता प्राप्त करना ।


लघु उद्योगों एवं हस्त कलाओं की स्थापना हॉल, धर्मशाला, बारातघर, वृद्धाश्रम, महिलाश्रम, आम जनता के उपयोग हैल्थकेयर सेंटर, संगीतालय, कोलस, अनाथालय, बालवाड़ी, आंगनवाड़ी, शिशुगृह ( जच्चा-बच्चा केन्द्र) वाचानालय, पुस्तकालय, डिस्पेंसरी, हास्पिटल, स्टेडियम, स्टुडियों और रात्रि निवास आदि का निमार्ण करना तथा विभिन्न सार्वजनिक समाजिक विकास के कार्यक्रम नलाना व उनका संचालन करना |

परिवार कल्याण के प्रति जागरूकता, ग्रामीण क्षेत्रों में नुक्कड़ नाटकों द्वारा संबंधी जानकारियां उपलब्ध कराना व ग्रामीण क्षेत्रों में किशोर-किशोरीयों को प्रजनन
स्वामी शिक्षा स्वास्थ के प्रति जनकारी देना |

संख्या के सदस्यों में आम जनता के हितों व अधिकारों की रक्षा के लिए सम्बन्धित विभागों से पत्रव्यवहार करना आवश्यकता पड़ने पर न्यायलयों में जाना तथा सम्बन्धित अधिकारियों से मुलाकात करना |

प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाद, सूखा भूकम्प, या तुफान आदि के समय पीड़ितों की चिकित्सा, भोजन, आवास, यातायात व अन्य सामग्री मुहैया कराना और हर संभव सहायता प्रदान करना।


ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में पेयजल ( प्याऊ ) आदि का निर्माण, व्यवस्था एवं रखरखाव आदि का प्रबंध करना, उद्यान आदि का निर्माण एवं व्यवस्था तथा इन सबसे सम्बंधित संस्थाओं का सहयोग लेना-देना।


स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रकार के निजी व्यवसायों की शिक्षा व प्रशिक्षण प्रदान करना।


शिक्षा, सांस्कृतिक व अन्य समाजिक गतिविधियों के विकास के लिए विभिन्न कार्य योजना व कार्यक्रम चलाना जैसे – प्रौढशिक्षा, निबंध प्रतियोगिताएं प्रदर्शनी जलसे, सेमिनार, सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रेस कांफ्रेस आदि ।


सरकार द्वारा विशेष स्वास्थ्य सेवाओं का प्रचार-प्रसार करना क्षयरोग, कैंसर, एड्स, आदि बिमारियों के बारे में सरकारी कार्यक्रम को ज्ञान देना एवं चिकित्सा सुविधा हेतु सही मार्गदर्शन करना।


संक्रामक रोगों जैसे एच वी एवं एड्स के प्रति लोगों में जागरुकता लाना तथा जानलेवा
बिमारियों की रोकथाम करना। समय-समय पर रक्तदान शिविर आदि लगाना।


विकलांगों के सेवार्थ विभिन्न योजनायें बनाना एवं संचालन करना।


रोगों के इलाज हेतु आयुर्वेदिक इवाईयों के साथ-साथ लोगो को योगा द्वारा रोगों से मुक्ति दिलाना एवं आवाम को योगा सिखाना ।
उर्जा के संरक्षण हेतु उर्जा के विभिन्न श्रोतों की जानकारी देना जैसे उन्नवायो गैस, गोबर गैस, सौर उर्जा, गैर पारम्परिक उर्जा के श्रोतों की जानकारी देना एवं उपलब्ध कराना।